प्यार की राहों मे एक पथिक का प्रेम अंकुर अपनी प्रियसि के लिये , केसे फूटता है वो इसमे वर्णित है , बह... प्यार की राहों मे एक पथिक का प्रेम अंकुर अपनी प्रियसि के लिये , केसे फूटता है वो...
हर रात आंखों ही आंखों में कटने लगी है हर रात आंखों ही आंखों में कटने लगी है
तुम्हारी खुशी के अलावा जुबान ने ना कोई दुआ निकाली है। तुम्हारी खुशी के अलावा जुबान ने ना कोई दुआ निकाली है।
तू आ शाम की धुंधलके संग आ। तू आ शाम की धुंधलके संग आ।
प्रातः ताजगी के भर के रंग सुंदर चित्र सा पुनः सजाती हूँ प्रातः ताजगी के भर के रंग सुंदर चित्र सा पुनः सजाती हूँ
उनके होठों पर मेरा गीत कोई आये कुछ देर वहीं वो ठहर जाये। उनके होठों पर मेरा गीत कोई आये कुछ देर वहीं वो ठहर जाये।